नामकरण संस्कार
शास्त्र सम्मत विधि से नामकरण संस्कार बच्चे के जीवन का प्रथम और अत्यंत पवित्र संस्कार है। इस अनुष्ठान में शिशु को उचित राशि, नक्षत्र और पारिवारिक परंपराओं के अनुसार नाम दिया जाता है। नामकरण से बच्चे की पहचान, व्यक्तित्व और जीवन में शुभ ऊर्जा का आरंभ होता है। यह संस्कार सामान्यत: जन्म के 11वें, 21वें या 41वें दिन पर किया जाता है, किंतु परिवार की सुविधा और परंपरा के अनुसार दिन निर्धारित किया जा सकता है।
लाभ
- शुभ आरम्भ: जीवन की शुरुआत मंगलकारी ऊर्जा और आशीर्वाद से होती है।
- धार्मिक परंपरा: शास्त्र सम्मत विधि से संस्कार करने पर देव आशीर्वाद और परिवार की परंपरा की रक्षा होती है।
- व्यक्तित्व निर्माण: उचित नाम से बच्चे के व्यक्तित्व, भाग्य और भविष्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- सामाजिक मान्यता: नामकरण से शिशु को समाज में पहचान और सम्मान प्राप्त होता है।
क्या शामिल है
- गणेश पूजन एवं संकल्प
- नक्षत्र व राशि अनुसार नाम निर्धारण
- हवन व मंगल पाठ
- पारंपरिक विधि से नाम घोषणा
- आशीर्वचन एवं परिवार का मंगलकामना
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