आपका मुख्य दरवाज़ा ही रोक रहा है आपकी तरक्की - जानिए वास्तु शास्त्र का चौंकाने वाला सच -

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परिचय

हर मनुष्य अपने जीवन में सुख - शांति, सफलता और सकारात्मक ऊर्जा चाहता है साथ ही  हम में से बहुत सारे लोग  ऐसे होते है जो घर के दरवाजे की दिशा को अनदेखा कर देते है और उसका प्रभाव हमारे जीवन पर बहुत गहरा पड़ता है  कई बार मेहनत और योग्यता होने के बावजूद भी जीवन में कई अड़चनें और समस्याएं आने लगती हैं , और उनका प्रभाव हमारे करियर , व्यापार और  पारिवारिक सुख पर पड़ने लगता है, तब ऐसे में अक्सर लोग यह सोचते हैं किकहीं घर का वास्तु तो गड़बड़ नहीं?”

वास्तु शास्त्र के अनुसार आपके घर का मुख्य द्वार यानी प्रवेश द्वार ही जीवन में आने वाली ऊर्जा का प्रमुख माध्यम होता है। यह केवल घर का प्रवेश बिंदु नहीं, बल्कि सौभाग्य, धन, और स्वास्थ्य का द्वार भी होता है। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि मुख्य दरवाज़े की दिशा, रंग, आकार या सजावट वास्तु सिद्धांतों के अनुसार  न हो, तो यह व्यक्ति की तरक्की और मानसिक शांति पर बुरा प्रभाव डाल सकता है।

तो आज के इस ब्लॉग में हम आपसे यही बात करेंगे कि घर का मुख्य दरवाज़ा आपके  जीवन को किस प्रकार से प्रभावित करता है,साथ ही आपको  वास्तु शास्त्र के किन किन नियमों का पालन करना अति आवश्यक है, और किन गलतियों से बचकर घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह किया जा सकता है|

क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी तरक्की रुकने की वजह आपका मुख्य दरवाज़ा भी हो सकता है?


मुख्य द्वार का महत्व: ऊर्जा का प्रवेश द्वार

हमारे हिन्दू धर्म में वास्तु शास्त्र के अनुसार  मुख्य द्वार कोऊर्जा का केद्र बिंदुमाना जाता है  जिस प्रकार हमारे  शरीर में मुख (मुंह) भोजन का प्रवेश द्वार होता है, उसी प्रकार हमारे घर का मुख्य द्वार ही  सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश द्वार माना जाता है। घर में आने वाली सारी सकारात्मक या नकारात्मक शक्ति इसी मुख्य द्वार से प्रवेश करती है।

वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार:

  • घर की 70% ऊर्जा मुख्य द्वार से ही आती-जाती है।
  • गलत दिशा या गलत डिज़ाइन वाला मुख्य दरवाज़ा व्यक्ति की प्रगति और सुख - शांति को रोक सकता है।
  • सही दिशा और सुंदर सजावट वाला मुख्य द्वार घर में लक्ष्मीस्वास्थ्य और सौभाग्य का स्वागत करता है।

जब मुख्य द्वार से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, तो घर के हर कोने में संतुलन, शांति और समृद्धि महसूस होती है। इसके विपरीत, यदि प्रवेश द्वार गलत दिशा में या अव्यवस्थित हो, तो नकारात्मक ऊर्जा पूरे घर में फैल सकती है।


किस दिशा में होना चाहिए मुख्य दरवाज़ा?

 

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वास्तु शास्त्र दिशा विज्ञान पर आधारित है। प्रत्येक दिशा का संबंध किसी ग्रह और ऊर्जा प्रवाह से होता है। इसलिए दरवाज़े की दिशा का चुनाव अत्यंत महत्वपूर्ण है।

दिशा

प्रतीक

प्रभाव

उपयुक्तता

उत्तर

कुबेर (धन के देवता)

आर्थिक प्रगति, करियर में उन्नति

उत्तम

पूर्व

इंद्र (देवताओं के राजा)

सफलता, प्रतिष्ठा, आध्यात्मिकता

अत्यंत शुभ

दक्षिण

यम (संयम व अनुशासन)

तनाव, विलंब, बाधाएं,बीमारी

टालने योग्य

पश्चिम

वरुण (जल देवता)

स्थिरता, दृढ़ता, कभी-कभी ठहराव

सामान्य रूप से स्वीकार्य

सर्वश्रेष्ठ दिशाएं:

  • पूर्व और उत्तर दिशाएं मुख्य दरवाज़े के लिए सर्वाधिक शुभ मानी जाती हैं।
  • यदि घर उत्तर-पूर्व दिशा में खुलता हैतो यह धन और स्वास्थ्य दोनों के लिए अत्यंत लाभकारी होता है।

ध्यान दें:
 यदि घर के निर्माण के  कारण दरवाज़ा दक्षिण या पश्चिम दिशा में हो, तो वास्तु दोष निवारण के लिए  उपाय अपनाकर उसे संतुलित किया जा सकता है, आपको मुख्य द्वार पर पंचमुखी हनुमान की तस्वीर या फोटो को लगाना है और हो सके तो रोज़ पूजा आरती वन्दना भी करनी है जिससे मूर्ति या फोटो में शक्ति का प्रवाह बना रहे साथ ही  मुख्य द्वार पर धातु के तोरण, पंचमुखी गणपति या स्वस्तिक चिन्ह को भी बनाना या लगाना चाहिए इनसे आपके घर की नकारात्मक ऊर्जा रुकेगी और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होने लगेगा और घर में सुख शांति का प्रवाह और शरीर में हल्का सा महसूस होने लगेगा साथ ही मुख्य द्वार पर पंचमुखी हनुमान का फोटो और तस्वीर दोनों में से कोई एक लगाना न भूले और स्वस्तिक चिन्ह जरुर बनाये ये दो ही काम आपके जीवन में और आपके घर में  सकारात्मक ऊर्जा को प्रवाह करने लगेगे|


दरवाज़े का आकार, ऊँचाई और रंग कैसा होना चाहिए 

दरवाज़े की दिशा जितनी महत्वपूर्ण है, उतना ही उसका आकार, ऊँचाई और रंग भी मायने रखता है - 

1. आकार और ऊँचाई

  • मुख्य द्वार हमेशा घर के अन्य दरवाज़ों से बड़ा होना चाहिए।
  • दरवाज़ा समकोण (Rectangular) होना शुभ माना जाता है।
  • दरवाज़े की ऊँचाई लगभग 7 से 8 फीट होनी चाहिए ताकि ऊर्जा का प्रवाह सहज हो सके।
  • तिरछाटूटा या झुका हुआ दरवाज़ा नकारात्मकता (बुरी आत्माओ या बुरी शक्तियो ) को आकर्षित करता है।

2. मुख्य दरवाजे का रंग कैसा होना चाहिए 

वास्तु शास्त्र के अनुसार मुख्य द्वार को  रंग भी प्रभावित करते है हमारा मुख्य दरवाजा जिस रंग का होगा उसी तरह का हम पर असर पड़ेगा और हमारे घर में वैसे ही ऊर्जा का प्रवाह होगा - अब हम आपके नीचे बताते है की आपका मुख्य द्वार किस रंग का होना चाहिए - 

  • उत्तर दिशा: हल्का नीला या हरा रंग
  • पूर्व दिशा: सफेद या हल्का पीला
  • दक्षिण दिशा: लाल या नारंगी
  • पश्चिम दिशा: ग्रे या क्रीम

घर के  मुख्य द्वार का  सही रंग चयन से और सही दिशा से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होने लगता है  जबकि गलत रंग और गलत दिशा  हमारे मानसिक,शारीरिक  और आर्थिक नुकसान का कारण बन सकता है, लेकिन हम लोग भाग दौड़ की इस जीवन में ध्यान नहीं देते जिससे हमें आर्थिक और मानसिक,शारीरिक नुकसान होता रहता है


दरवाज़े की सजावट: सिर्फ़ शोभा नहीं, सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक -

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 घर के मुख्य द्वार की सजावट केवल सुन्दरता का प्रतीक नहीं, बल्कि यह घर के अन्दर बहने वाली ऊर्जा पर गहरा प्रवाह डालती है।

वास्तु के अनुसार शुभ प्रतीक:

  • स्वस्तिक चिन्ह: सकारात्मकता और समृद्धि का प्रतीक।
  • तोरण (आम या अशोक पत्तियों का): नकारात्मक ऊर्जा (बुरी आत्माओ या बुरी शक्तियो ) को दूर रखता है।
  • दीपक या रोशनी: प्रवेश द्वार पर उजाला अंधकार और नकारात्मकता (बुरी आत्माओ या बुरी शक्तियो )  को दूर हटाता है।
  • शुभ-लाभ की पट्टिका: आर्थिक (धन-संपदा) उन्नति का संकेत।

क्या न करें:

  • दरवाज़े पर डरावनी मूर्तियाँतस्वीरें या काले रंग के प्रतीक न लगाये ।
  • दरवाज़े पर टूटी घंटीगंदी नेम प्लेट या धूल भरा प्रवेश द्वार नकारात्मक ऊर्जा को बुलावा देते हैं।

दरवाज़े के सामने क्या नहीं होना चाहिए?

वास्तु शास्त्र के अनुसार दरवाज़े के ठीक सामने क्या नहीं होना चाहिए, क्योंकि ये चीजे हमारी सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को रोकती हैं - 

1.     सीढ़ियाँ या खंभा: दरवाज़े के ठीक सामने स्तंभ (खंभा)  या सीढ़ी हो तो सकारात्मक ऊर्जा रुक जाती है।

2.     पेड़ या बिजली का खंभा: यह दरवाज़े की सकारात्मक शक्ति को रोकता है।

3.     अन्य घर का दरवाज़ा: दो घरों के मुख्य द्वार आमने-सामने होने से आपसी टकराव या आर्थिक अस्थिरता का योग बनता है।

4.     कचरा या गड्ढा: यह नकारात्मक ऊर्जायानी बुरी शक्तियों  का बड़ा कारण बन सकता है।

अगर ऐसी स्थिति है कि घर का निर्माण हो चुका है और आप उसमे रह रहे है तो वास्तु निवारण के उपाय को अपनाकर आप उन दोषों को दूर कर सकते हैं, जैसे— क्रिस्टल बॉल लटकाना, पंचमुखी दीपक जलाना या दरवाज़े पर लाल पट्टी लगाना साथ ही मुख्य द्वार पर पंचमुखी हनुमान का फोटो और तस्वीर लगाना और स्वस्तिक चिन्ह प्रतीक बनाना इन सभी में आप एक या दो चीजो को फ़ॉलो कर सकते है और जो भी दोष है उनको कम कर सकते है|


दरवाज़े की दिशा और धन-समृद्धि का संबंध

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कई बार हमारे घर के सदस्य बहुत परिश्रम करते हैं, फिर भी धन नहीं रुकता है , इसका एक बड़ा कारण मुख्य द्वार की गलत दिशा भी हो सकती है।

उदाहरण के लिए:

  • दक्षिणमुखी दरवाज़ा: पैसा अधिक खर्च होना , घर में बीमारी का ज्यादा आना और आमदनी का कम होना।
  • उत्तरमुखी दरवाज़ा: व्यापारिक अवसर बढ़ते हैं और धन किसी न किसी तरह से आता रहता है।
  • पूर्वमुखी दरवाज़ा: प्रतिष्ठासफलता और सम्मान में वृद्धि होती है।
  • पश्चिममुखी दरवाज़ा: धन रुका रहता हैपरंतु तरक्की की गति धीमी होती है।

वास्तु विशेषज्ञों का मानना है कि घर का सही दिशा में दरवाज़ा होना हमारे जीवन की गति को सुचारू रखता है, जबकि गलत दिशा अनावश्यक बाधाएं उत्पन्न करती है।


दरवाज़े से जुड़ी सामान्य गलतियाँ और उनके समाधान

गलती

प्रभाव

समाधान

दरवाज़ा जाम या चिरचिराना

नकारात्मक ऊर्जा का संकेत

नियमित सफाई और ऑइलिंग करें

दरवाज़े पर गंदगी या धूल

अवसरों की रुकावट

दरवाज़े को रोज़ साफ रखें

अंधेरा प्रवेश क्षेत्र

उदासी और आलस्य

पर्याप्त रोशनी सुनिश्चित करें

टूटी नेम प्लेट

पहचान में भ्रम

नई और साफ नेम प्लेट लगाएं

दरवाज़े पर काला रंग

नकारात्मकता का प्रतीक

हल्के और उजले रंग अपनाएं

इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर आप अपने जीवन में बड़ा सकारात्मक परिवर्तन ला सकते है।


क्या मुख्य दरवाज़ा ही सब कुछ तय करता है?

यह प्रश्न अक्सर हमारे मन में उठता है कि क्या केवल मुख्य दरवाज़ा ही व्यक्ति के भाग्य को प्रभावित करता है - तो  वास्तु शास्त्र का उत्तर स्पष्ट है — मुख्य द्वार ज़रूर एक अहम भूमिका निभाता है, परन्तु ये अकेला कारण नहीं होता जो सब कुछ तय करता है।

घर के अन्य हिस्से जैसे रसोई, पूजा कक्ष, शयन कक्ष और जल स्रोत भी ऊर्जा संतुलन में भूमिका निभाते हैं। किंतु मुख्य दरवाज़ा वह बिंदु है जहां से ऊर्जा का प्रवाह आरंभ होता है। इसलिए यदि वहां असंतुलन है, तो बाकी हिस्से भी प्रभावित होते हैं।

संतुलित वास्तु तभी संभव है जब घर के हर हिस्से, खासकर मुख्य द्वार, आपस में अच्छी तरह तालमेल खाते हों|


वास्तु दोष निवारण के उपाय

हर घर वास्तु के अनुरूप नहीं बन पाता। ऐसे में कुछ सरल उपाय अपनाकर संतुलन स्थापित किया जा सकता है।

प्रमुख उपाय:

1.     वास्तु पिरामिड: दरवाज़े के ऊपर स्थापित करेंयह नकारात्मक ऊर्जा को रोकता है।

2.     क्रिस्टल बॉल: दरवाज़े के पास लटकाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

3.     पीतल या तांबे की घंटी: दरवाज़े पर लगाने से कंपन और ऊर्जा का प्रवाह सुधरता है।

4.     स्वस्तिक व ओम चिन्ह: शुभता और शक्ति का प्रतीक।

5.     नमक का कटोरा: दरवाज़े के पास रखा नमक नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित करता है।

6.     पंचमुखी हनुमान का फोटो और तस्वीर - मुख्य द्वार पर पंचमुखी हनुमान जी की फोटो या तस्वीर लगाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है और घर सुरक्षित रहता है

ध्यान देने योग्य बात:

 इन उपायों का प्रभाव तभी स्थायी होता है जब घर की साफ-सफाई अच्छे से हो और सकारात्मक वातावरण रखा जाए।


आधुनिक वास्तु और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

कई लोग वास्तु को अंधविश्वास मानते हैं, लेकिन आधुनिक विज्ञान भी ऊर्जा संतुलन और दिशाओं के प्रभाव को स्वीकार करते है और मानते भी है साथ ही जो नहीं मानते है वे  शारीरक ,मानसिक और आर्थिक नुकसान का गहरा प्रवाह पड़ता है|

वैज्ञानिक दृष्टि से:

  • उत्तर और पूर्व दिशा से सूर्य की किरणें आती हैंजो हमारे जीवन के लिए आवश्यक ऊर्जा देती हैं।
  • दक्षिण दिशा में ताप अधिक होता हैजिससे घर में गर्मी और बेचैनी बढ़ सकती है।
  • स्वच्छउज्ज्वल और खुला प्रवेश द्वार मनोवैज्ञानिक रूप से भी सुखद अनुभव देता है।

इस प्रकार वास्तु सिद्धांतों का पालन केवल पारंपरिक मान्यता नहीं, बल्कि व्यवहारिक और वैज्ञानिक दृष्टि से भी लाभकारी है।


विशेषज्ञों की राय

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प्रसिद्ध वास्तु विशेषज्ञ डॉ. निरंजन भटनागर के अनुसार,

मुख्य द्वार ही घर की पहचान है। यदि यह दिशा और संरचना के अनुरूप हो, तो व्यक्ति की ऊर्जा, मनोबल और निर्णय क्षमता स्वतः बढ़ती है।

वहीं, आर्किटेक्ट दीपा मल्होत्रा का मानना है,

वास्तु और डिज़ाइन का संतुलन ही आधुनिक वास्तु की आत्मा है। मुख्य द्वार का चयन करते समय सौंदर्य और ऊर्जा प्रवाह दोनों पर समान ध्यान देना चाहिए।

इन विचारों से स्पष्ट है कि वास्तु केवल परंपरा नहीं, बल्कि एक संतुलित जीवन जीने की विज्ञानसंगत पद्धति भी है साथ ही दोस्तों अगर आपका घर की दिशा सही नहीं है तो ऊपर बताये गए उपायों को फॉलो करे आपके जो दरवाजे से रिलेटेड दोष होगे दूर होगे और अगर आपके घर का मुख्य द्वार सही दिशा में है तो बेहद ही ख़ुशी की बात है साथ मित्रो अगर आप अपना नया घर बनवाने की सोच रहे है तो उसका दरवाजा सही दिशा में करे जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा प्रवाह हो और आपके जीवन में सुख- शांति रहे और घर में परिवार के सारे सदस्य अच्छे से और रहे और घर में शारीरक ,मानसिक और आर्थिक स्थिति सही रहे|

दक्षिणमुखी दरवाज़ा: क्या सच में अशुभ है?

दोस्तों, उत्तरमुखी, पूर्वमुखी और पश्चिममुखी दरवाज़ों की तुलना में दक्षिणमुखी दरवाज़ा वास्तु शास्त्र में अधिक संवेदनशील दिशा माना गया है।
 
यह दिशा यम देव (दक्षिण दिशा के अधिपति देवता) से जुड़ी मानी जाती है, इसलिए लोग अक्सर इससे डरते हैं।
 
लेकिन सच्चाई यह है कि अगर इस दिशा के वास्तु नियमों का पालन किया जाए, तो दक्षिणमुखी दरवाज़ा भी सौभाग्य, सफलता और समृद्धि ला सकता है।

⚠️ दक्षिणमुखी दरवाज़े के संभावित नुकसान

1. आर्थिक अस्थिरता:

अगर दरवाज़ा गलत दिशा या ऊँचाई में बना हो, तो धन की हानि या अनावश्यक खर्च बढ़ सकता है।

2. तनाव और असंतुलन:

 दक्षिण दिशा अग्नि तत्व से जुड़ी है, जिससे घर के लोगों में क्रोध, बेचैनी या अस्थिरता बढ़ सकती है।

3. स्वास्थ्य पर असर:

 अगर घर का कोई सदस्य लंबे समय तक बीमार रहता है या जल्दी ठीक नहीं होता, तो इसका एक कारण घर का गंदा या अव्यवस्थित मुख्य द्वार भी हो सकता है।
 
ऐसा द्वार नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है, जिससे घर का ऊर्जा संतुलन और स्वास्थ्य दोनों प्रभावित हो सकते हैं।

4. रिश्तों में मतभेद:

 गलत तरीके से बना दक्षिणमुखी द्वार परिवार या व्यापार में मतभेद और टकराव की स्थिति पैदा कर सकता है।

 🪔 सकारात्मक उपाय और बचाव

1. शुभ प्रतीक लगाएँ:
 मुख्य द्वार के दोनों ओर , स्वस्तिक या त्रिशूल का चिन्ह बनाना शुभ माना जाता है।

2. पंचमुखी हनुमान जी की तस्वीर लगाएँ:
 दरवाज़े के ऊपर या सामने बाहर की ओर लगाएँ — इससे नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश नहीं कर पाती।

3. हल्के रंगों का प्रयोग करें:
 मुख्य द्वार को हल्के लाल, क्रीम या हल्के भूरे रंग से रंगें — ये अग्नि तत्व को संतुलित करते हैं।

4. साफ-सफाई और रोशनी रखें:
 मुख्य द्वार हमेशा स्वच्छ और रोशनी से भरा होना चाहिए। इससे सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

5. नामपट्टिका अवश्य लगाएँ:
 दरवाज़े पर साफ़-सुथरी नेमप्लेट लगाना घर की पहचान और स्थिरता का प्रतीक माना जाता है।

6. दक्षिण-पूर्व दिशा का झुकाव रखें:
 यदि संभव हो, तो दरवाज़ा थोड़ा दक्षिण-पूर्व (अग्निकोण) की ओर रखें — यह दिशा अधिक शुभ मानी जाती है।

 


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

🏠 प्र.1. क्या लोहे का दरवाज़ा शुभ होता है?

उत्तर: अगर दरवाज़ा उत्तर या पश्चिम दिशा में है, तो लोहे का दरवाज़ा ठीक रहता है।
 
लेकिन पूर्व या दक्षिण दिशा में लकड़ी का दरवाज़ा अधिक शुभ और ऊर्जा संतुलित माना गया है।


🚪 प्र.2. क्या दो मुख्य दरवाज़े होना वास्तु दोष है?

उत्तर: दो दरवाज़े होना वास्तु दोष नहीं है,
 
बस ध्यान रहे कि एक मुख्य प्रवेश द्वार और दूसरा सहायक द्वार हो।
 
साथ ही, दोनों दरवाज़े आमने-सामने नहीं होने चाहिए।


🪞 प्र.3. क्या दरवाज़े पर दर्पण लगाना उचित है?

उत्तर: मुख्य दरवाज़े के ठीक सामने दर्पण लगाना वर्जित है,
 
क्योंकि इससे घर की सकारात्मक ऊर्जा वापस लौट जाती है।
 
इसलिए दरवाज़े के सामने या उस पर दर्पण न लगाएँ।


🛕 प्र.4. क्या मुख्य दरवाज़े के पास मंदिर रखना ठीक है?

उत्तर: मुख्य द्वार के बहुत पास मंदिर रखना उचित नहीं होता।
 
इससे ऊर्जा का प्रवाह प्रभावित होता है।
 
मंदिर को घर के अंदर शांत, स्वच्छ और पवित्र जगह पर रखना सबसे अच्छा माना जाता है।


🧭 प्र.5. क्या दक्षिणमुखी दरवाज़ा अशुभ होता है?

उत्तर: दक्षिणमुखी दरवाज़ा पूरी तरह अशुभ नहीं है,
 
बस यह दिशा थोड़ी संवेदनशील होती है।
 
अगर सही रंग, शुभ प्रतीक और दक्षिण-पूर्व की ओर हल्का झुकाव रखा जाए,
 
तो यह दरवाज़ा भी सौभाग्य और समृद्धि ला सकता है।


🌅 प्र.6. घर के मुख्य दरवाज़े के लिए सबसे अच्छी दिशा कौन-सी होती है?

उत्तर: वास्तु शास्त्र के अनुसार, उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) और पूर्व दिशा मुख्य द्वार के लिए सबसे शुभ मानी जाती हैं।

 इन दिशाओं से सूर्य की रोशनी और सकारात्मक ऊर्जा सीधी घर में प्रवेश करती है,
 
जिससे घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।
 
अगर ये दिशाएँ संभव न हों, तो उत्तर दिशा भी बहुत अच्छी मानी जाती है।


निष्कर्ष

दोस्तों घर का मुख्य दरवाज़ा सिर्फ़ आने-जाने का रास्ता नहीं होता बल्कि ये तो हमारे जीवन में सुख, शांति, सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का प्रवेश द्वार भी होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में आने वाली हर अच्छी या बुरी ऊर्जा की शुरुआत हमारे मुख्य दरवाजे से ही होती है। इसलिए ये दरवाज़ा जितना सुंदर और सुसंगठित होगा, उतनी ही अच्छी तरंगें आपके घर और जीवन में प्रवेश करेंगी।

हमारे घर के मुख्य द्वार को सही दिशा में रखना, साफ-सुथरा और रोशनी से भरा रखना, तथा शुभ प्रतीकों से सजाना बहुत शुभ माना जाता है। ये सब न सिर्फ़ घर की सुंदरता बढ़ाते हैं बल्कि घर में सकारात्मकता और सौभाग्य का संचार भी करते हैं। इसके विपरीत, यदि दरवाज़ा अव्यवस्थित हो या गलत दिशा में बना हो, तो यह प्रगति और मानसिक शांति में रुकावटें पैदा कर सकता है।

थोड़ी सी सजगता और वास्तु के कुछ सरल उपाय अपनाकर कोई भी व्यक्ति अपने मुख्य द्वार को ऊर्जा, सफलता और खुशहाली का स्रोत बना सकता है।आख़िरकार, जब द्वार शुभ होता है, तो जीवन की हर राह अपने आप खुलने लगती है।